मिलिनियर की दौड़ मैराथन जैसी
न्यूयार्क टाइम्स के प्रसिद्ध कालम लेखक और फाइनेंशियल प्लानर रसेल बैलियन ने अपनी पुस्तक प्लानिंग लीड्स टू वेल्थ में लिखा है कि हममें से हर कोई वारेन बफेट अथवा जार्ज सोरोस की तरह मिलिनियर बनना चाहता है लेकिन शायद ही कोई इस तक पहुँचने के सीधे रास्ते में चलने का चुनाव पसंद करता है। बैलियन ने करोड़पति बनने का जो फार्मुला दिया है वह बेहद सीधा-सादा है। उनका मानना है कि शेयर बाजार में निवेश मैराथन दौड़ की तरह है अगर सारी ऊर्जा जल्दी-जल्दी लगा दी जाये तो निवेशक अंतिम बिंदु तक आते-आते चूक जाता है। उनके कहने का सीधा तात्पर्य है कि जो निवेशक डेरिवेटिव उत्पादों में पूँजी लगाते हैं अथवा डे-ट्रेडिंग का सहारा लेते हैं उनका निवेश लक्ष्य कभी तय नहीं हो पाता और अक्सर यह होता है कि किसी बड़ी गिरावट के वक्त फायदे की अंधी दौड़ में शामिल यह निवेशक औंधे मुँह गिरते हैं।
कहाँ से हो शुरूआतः
मिलिनियर होने के लिये अथवा किसी बड़े निवेश लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कार्ययोजना बनानी जरूरी है। आप दो कारणों से निवेश करते हैं एक तो लंबी अवधि की परिपक्वता के लिए और दूसरा अल्पावधि में आने वाली निवेश आवश्यकताओं के लिए। उदाहरण के लिए रिटायरमेंट प्लानिंग करने वाला हर निवेशक अपने निकट भविष्य की जरूरतों(बच्चों की पढ़ाई, विवाह आदि खर्च) की आपूर्ति करने वाला निवेश साधन चाहता है। बाजार में उपलब्ध फाइनेंशियल उत्पाद जोखिम के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में बंटे होते हैं और जोखिम उठाने की निवेशक की क्षमता के अनुसार भविष्य में इनके द्वारा दिये गये रिटर्न की संभावनाओं का अनुमानित खाका भी खींचा जा सकता है। यहाँ पर निवेशक को अपने न्यूनतम एवं अधिकतम लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए। न्यूनतम जो बेसिक नीड्स को पूरा करें उदाहरण के लिए रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित आय जिससे महीने का खर्च आसानी से निवेशक निकाल पाये। न्यूनतम लक्ष्य को प्राप्त करने निवेशक को रिटर्न की गारंटी वाले साधनों उदाहरण के लिए बैंक एफडी का सहारा लेना चाहिए। निवेशक म्युच्युअल फंड के एफएमपी उत्पादों का प्रयोग भी कर सकते हैं। इसके बाद निवेशक को अपने साधनों के अनुरूप अधिकतम लक्ष्य तय करने चाहिए। उदाहरण के लिए निवेशक अगर 15 प्रतिशत रिटर्न चाहता है तो इसके लिए इक्विटी का फ्लेवर आवश्यक है अतः निवेशक को इस स्तर पर जोखिम लेना होगा।
मिलिनियर बनने कैसा हो पोर्टफोलियोः
रसेल बैलियन ने अमेरिकी निवेशकों के लिए एक आदर्श पोर्टफोलियो तैयार किया है। भारतीय बाजार की प्रकृति और यहाँ उपलब्ध फाइनेंस उत्पादों के आधार पर प्रत्येक आयु वर्ग के निवेशकों के लिए उसी तरह का आदर्श पोर्टफोलियो बनाने की कोशिश की जा सकती है। उदाहरण के लिए मान लीजिए कि आप 30 साल के हैं और आप सेवानिवृति तक 1 करोड़ रुपए का लक्ष्य रखते हैं। लक्ष्य को प्राप्त करने आपको सबसे पहले अपनी मासिक बचत का ध्यान रखना होगा। अगर आप मासिक आधार पर 3000 रुपए तक बचा लेते हैं तब आप 2000 रुपए प्रति माह डेट और आबिर्ट्रज फंड में लगा सकते हैं और शेष 1000 रुपए एसआईपी के माध्यम से किसी अच्छे इक्विटी फंड में लगा सकते हैं। जहाँ डेट फंड आपके पोर्टफोलियो में मूल पूँजी को सुरक्षित रखने का न्यूनतम आश्वासन देंगे, वहीं आर्बिटेज फंड डेट उपकरणों की तुलना में थोड़ा बेहतर रिटर्न प्राप्त करने में सहायक होंगे। अगर इस आँकड़े को बाजार के पिछले ट्रैक रिकार्ड के आधार पर परखें तो निवेशक को 12 फीसदी तक का रिटर्न प्राप्त हो सकता है जो उसे मिलिनियर बनने के लक्ष्य तक पहुँचा सकता है।
इक्विटी का फ्लेवर क्यों और कबः
पिछले अनुभवों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि दीर्घकालीन नजरिये से समस्त निवेश साधनों में इक्विटी सर्वाधिक रिटर्न देने वाले साबित होते हैं। उदाहरण के लिए अगर इसी आयु वर्ग के निवेशक की मासिक बचत 2000 रुपए हो तो अगले तीस सालों में करोड़पति बनने के लिए इसे 15 फीसदी के दर से रिटर्न देने वाले निवेश साधनों में बचत लगानी होगी। स्वाभाविक है इसके लिए इक्विटी का फ्लेवर बढ़ाना होगा। यहाँ पर निवेशक के लिए बैलेंस फंड बेहतर साबित होंगे जो बाजार की परिस्थिति के अनुरूप डेट और इक्विटी में एक्सपोजर को संतुलित करते चलते हैं। अगर निवेशक की बचत थोड़ी अधिक होती है और वह ऊंचे निवेश लक्ष्य चाहता है तब उसे डाइवर्सिफाइड इक्विटी फंड में एक्सपोजर बढ़ाना चाहिए। यहाँ उसे ध्यान रखना चाहिए कि ईएलएसएस(इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम) की ओर भी थोड़ा ध्यान दे ताकि कर में छूट का लाभ भी उसकी बचत को बैंलेस करे।
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