अब ओलंपिक के सरताज पर दाँव
फाइनेंस की दुनिया में चर्चित एक प्रमुख रेटिंग एजेंसी ने किसी देश की अर्थव्यवस्था के आधार पर ओलंपिक में मिलने वाले संभावित पदकों की सूची निकाली। भारत की अर्थव्यवस्था में हुई तेज वृद्धि के चलते इसने भारतीय खिलाड़ियों को 6 पदक मिलने के अनुमान जताये थे। अगर भारतीय खिलाड़ियों के वर्तमान प्रदर्शन पर नजर डालें तो अभिनव बिन्द्रा को स्वर्ण पदक मिल चुका है, सुशील कुमार को काँस्य और विजेन्द्र का पदक तय हो चुका है। इसके अलावा भारत के दो मुक्केबाजों ने क्वाटर फाइनल तक जगह बनाई थी और पदक से मामूली अंतर से चूक गये। नतीजों के अनुमान के इतने निकट आने से यह स्पष्ट है कि अर्थव्यवस्था और खेलों के बीच अंतर्निहित संबंधों को खोजने की कोशिश बहुत हद तक सफल हुई है। अगर इस आधार पर देखा जाये तो चीन ने अपने प्रदर्शन में(अब तक 45 स्वर्ण पदक) अमेरिका(अब तक 22 स्वर्ण पदक) को पीछे छोड़ दिया है और सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था वाले देश के रूप में उभरा है। अगर इस अंर्तसंबंध को कुछ समय के लिए खारिज भी कर दिया जाये तो भी 9.5 की दर से बढ़ रही चीनी अर्थव्यवस्था में भारतीय निवेशकों के लिए भी काफी संभावनायें हो सकती हैं। जेपी मार्गन ने अमेरिकन निवेशकों को चीन के बाजारों का लाभ दिलाने वर्ष 2001 में ग्रेटर चाइना इक्विटी फंड लाँच किया था और अब भारतीय निवेशकों को चीनी बाजारों का लाभ दिलाने कंपनी ने ग्रेटर चाइना फंड का प्रस्ताव सेबी के समक्ष रखा है।
क्या है खासः
ग्रेटर चाइना फंड में निवेशक की 80 फीसदी पूँजी चीन, ताइवान और हाँगकाँग में लगाई जायेगी। हाँगकाँग और ताइवान लंबे अरसे से पूँजीवादी देशों के संपर्क में रहने की वजह से पहले ही इकानामिक हब के रूप में स्थापित हो चुके हैं। चीन में विलय के बाद भी हाँगकाँग की अर्थव्यवस्था इसी तरह से फल-फूल रही है। अमेरिकन निवेशकों के लिए जो फंड निकाला गया था, उसने लाँचिंग के बाद 17 प्रतिशत तक रिटर्न दिये हैं जबकि बेंचमार्क गोल्डन ड्रैगन ने 10 फीसदी तक रिटर्न दिये हैं। कच्चे तेल की कीमत फिलहाल 115 डालर प्रति बैरल पर है और चीन से लेकर आस्ट्रेलिया तक सारे किसानों ने फसल की अच्छी कीमत प्राप्त करने बुआई बढ़ा दी है इसके चलते खाद्यान्नों की कीमत में 30 प्रतिशत तक गिरावट आने की संभावना है। इससे मुद्रास्फीति की तेजी से बढ़ती दर थमने की संभावनायें बनी हैं। अमेरिकन अर्थव्यवस्था सबप्राइम संकट से धीरे-धीरे उबरती नजर आ रही है और लंबे अरसे बाद वैश्विक सूचकाँक ग्रीन सिग्नल दिखा रहे हैं। शंघाई का मार्केट जुलाई के अपने मूल्याँकन से 62 फीसदी निचले स्तर पर है और ऐसे बाजार में फंड मैनेजर द्वारा सही स्टाक के चुनाव से निवेशक को लाभ मिल सकता है।
क्या है आशंकाः
ओलंपिक के चलते चीन में स्टील और कंस्ट्रक्शन के अतिरिक्त कैपिटल गुड्स कंपनियों की गतिविधि में काफी तेजी आई थी। अब जब ओलंपिक का शोर खत्म होने वाला है तब इन कंपनियों को अपने आर्डर बुक भरने के लिए खासी मशक्कत का सामना करना पड़ सकता है। क्रूड आइल में वोलेटिलिटी(उथलपुथल) इतनी अधिक है कि इसको देखते हुए किसी तरह से भी बाजार की टाइमिंग कर पाना काफी कठिन है। सरकार द्वारा मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए अब तक किये गये प्रयासों का खास नतीजा नहीं निकल पाया है और सरकार द्वारा अनुमानित दर(4.8 फीसदी) की तुलना में यह आँकड़ा 7.5 प्रतिशत तक पहुँच गया है। रेटिंग एजेंसियों ने अनुमान लगाये हैं कि अगले वित्त वर्ष में जीडीपी की विकास दर इस वर्ष से 1 प्रतिशत घटकर 7.5 प्रतिशत रह जायेगी। वैसे इस स्तर पर भी चीनी ड्रैगन में निवेश करना अन्य विकल्पों की तुलना में बेहतर हो सकता है।
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