Wednesday, September 12, 2012

मेरा पीएससी का इंटरव्यू-१

जब मेंस का रिजल्ट आया तो बड़ी खुशी हुई लेकिन उसी क्षण से इंटरव्यू को लेकर चिंता भी शुरू हो गई। जब लोगों के इंटरव्यू के अनुभव सुने तो डर बढ़ गया। एक बोर्ड तो ऐसा रहा जिसने पूरी तौर पर खौफ कायम किया, प्रश्न इतने कठिन कि उत्तर दे पाना संभव ही नहीं, आपको एक और उम्र लग जाए इन जवाबों को देने के लिए। वन्य जीवन में हॉबी रखने वाले एक मित्र से ऐसे प्रश्न पूछे जिसके जवाब दे पाने संभव नहीं थे क्योंकि इनमें से बहुत कुछ ग्रामीण किवदंतिंयों पर आधारित थे। फिर भी इस बोर्ड की विशेषता थी कि इसमें इंटरव्यू के नये तरीकों का इस्तेमाल किया गया और हर दिन रोचक बातें सुनने को मिलीं मसलन एक लड़की से खड़े-खड़े ही इंटरव्यू लिया गया। एक लड़के से प्रदेश के यूनिवर्सिटी के नाम पूछे गये, १२ नाम बता दिये, उसने कहा कि एक औऱ नाम बता दोगे तो सलेक्शन पक्का। एक पुरानी कहानी याद आई, राजा ने कहा था कि शाम तक जितनी जमीन दौड़ोगे, वो तुम्हारी हो जायेगी। दौड़ तो लिया लेकिन जब वापसी के लिए एक गज जमीन बाकी थी तो उसने दम तोड़ दिया। 
                                                      इस बोर्ड की सबसे अच्छी बात यह थी कि इसने छत्तीसगढ़ी संस्कृति को अहम स्थान दिया। अटकन-बटकन दही चटाका का मतलब पूछा गया, पुरानी छत्तीसगढ़ी कहावतों को पूछा गया, जाहिर है ऐसे लोगों को इससे तवज्जो मिलेगी जिन्होंने छत्तीसगढ़ी संस्कृति पर मेहनत की हो तथा जमीन से जुड़े हों। 
                                      बोर्ड का गठन ग्लोकल आधार पर किया गया था,  कुछ आईएएस बुलाये गये थे जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रश्न पूछे, इनमें पूर्व आईएएस अधिकारी बीकेएस रे का नाम प्रमुख है वे लोगों से विभिन्न देशों की राजधानियाँ पूछ रहे थे। छत्तीसगढ़ पीएससी में दक्षिण सूडान से संबंधित प्रश्न पूछा जाना सुखद अनुभव रहा।
                                      दिन करीब आ रहे थे और अंत में वो दिन आ गया, ११ सितंबर की सुबह मेरा इंटरव्यू था। इंटरव्यू देने २० लोग आये थे, मेरे बगल से पश्चिम उत्तरप्रदेश से आये एक शख्स बैठे थे, मैंने उनका नाम पूछा, बताया संजीव, आश्चर्य यह लगा कि उन्होंने मेरा नाम नहीं पूछा, इतना पूछा कि लोकल हो क्या, मैंने कहा हाँ, आश्चर्य यह भी लगा कि उन्होंने तुम से बातचीत की, तुम एक अच्छा संबोधन है लेकिन यह अजीब लगा कि आप पहली बार किसी से बात कर रहे हो और उससे तुम का संबोधन कर रहे हो, मैंने उनसे हिस्ट्री का स्कोर पूछा, उन्होंने बताया ३२५, मुझसे पूछा मैंने बताया ३३३। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि इतना स्कोर कैसे आ सकता है। संभवतः उनका आश्चर्य इस बात को लेकर था कि एक छत्तीसगढ़िया इतने अंक कैसे ला सकता है। यहाँ मैं यूपी की मानसिकता को टारगेट नहीं कर रहा हूँ क्योंकि संजीव बरेली से आये थे और उन्हीं से २५०  किमी दूर गढ़वाल से संदीप आये थे, वे बेहद विनम्र थे। संजीव के बारे में अगले अंक में लिखुँगा।...

2 comments:

Anonymous said...

प्रिय मित्र,
चयन के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ एवं अग्रिम बधाइयाँ | कृपया अपने अंकों का विषयवार विभाजन भी बताएं |
लेख के द्वितीय भाग की प्रतीक्षा मे |
आपका ही,
एक पाठक |

Arvind Mishra said...

इंटरव्यू कैसा रहा? क्या चयन हुआ ?