Thursday, March 12, 2009

समय का खेल हारने के बाद कोई भी सफलता अर्थपूर्ण है

काफी निराशा झेलने के बाद उन्हें निराशा ही हाथ लगी और जब टूट गये तो सफलता ने उनके द्वार में दस्तक दी। मेरे एक सहयोगी ने मुझसे कहा कि टूटन भरे दौर में जब कहीं से कोई सहारा नहीं मिल रहा था उन्होंने हिम्मत नहीं हारी लेकिन सब कुछ पा लेने के बाद अजीब सा दर्द उनके अंदर समा गया है। उन्होंने मुझसे गीतांजलि की कविता शेयर की। दुख भरे क्षणों में नतमस्तक हो तेरे दर्शन तो करूं लेकिन दुख भरे क्षणों में जब सारी दुनिया मेरा उपहास करेगी तब शंकित न होऊं यही वरदान चाहता हूं। उनके लिए मैं क्या कर सकता हूं।

1 comment:

Udan Tashtari said...

हार जीत तो जीवन के रंग है. हार से सीखो और जीत को गले लगाओ खुशी खुशी!!