काफी निराशा झेलने के बाद उन्हें निराशा ही हाथ लगी और जब टूट गये तो सफलता ने उनके द्वार में दस्तक दी। मेरे एक सहयोगी ने मुझसे कहा कि टूटन भरे दौर में जब कहीं से कोई सहारा नहीं मिल रहा था उन्होंने हिम्मत नहीं हारी लेकिन सब कुछ पा लेने के बाद अजीब सा दर्द उनके अंदर समा गया है। उन्होंने मुझसे गीतांजलि की कविता शेयर की। दुख भरे क्षणों में नतमस्तक हो तेरे दर्शन तो करूं लेकिन दुख भरे क्षणों में जब सारी दुनिया मेरा उपहास करेगी तब शंकित न होऊं यही वरदान चाहता हूं। उनके लिए मैं क्या कर सकता हूं।
1 comment:
हार जीत तो जीवन के रंग है. हार से सीखो और जीत को गले लगाओ खुशी खुशी!!
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