रोटी-पानी पर दाँव लगाने वाला फंड
वर्षों पहले सर क्लार्क ने कहा था कि ए पालिटिशिय़न थिंक फार नेक्सट इलेक्शन बट अ स्टेट्समेन थिंक्स फार नेक्सट जनरेशन अर्थात एक राजनेता केवल अगले चुनावों के बारे में सोचता है लेकिन एक राजमर्मज्ञ अगली पीढ़ी के बारे में सोचता है। बिरला सनलाइफ कमोडिटी इक्विटी फंड की लाँचिंग के अवसर पर भारत आये जिम रोजर्स की इंवेस्टिंग स्टाईल के बारे में यही बात दूसरे ढंग से कही जा सकती है। वह केवल आने वाले दो या तीन वर्षों के संबंध में नहीं सोचते, वह आने-वाले 20-30 वर्षों का खाका दिमाग में रख कर चलते हैं तभी चीन की वैश्विक शक्ति के रूप में उभरने की घोषणा वह 80 के दशक में कर सके। बिरला सनलाइफ कमोडिटी फंड की लाँचिंग के अवसर पर उन्होंने वाटर स्टाक्स के महत्व की चर्चा की। रोजर्स के कथन में छुपी हुई संभावनाओं को इस पीढ़ी के वह सारे लोग समझ सकते हैं जिन्होंने अपनी आँखों के सामने पानी को एक कमोडिटी के रूप में बिकता पाया है जिसकी एक दशक पहले कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। दरअसल बिरला सनलाइफ कमोडिटी इक्विटी फंड में वह सारी बातें सारगर्भित रूप में छुपी हुई हैं जिनकी वकालत रोजर्स बरसों से करते आये हैं शायद इसी के चलते फंड की लाँचिंग के लिए कंपनी को रोजर्स सबसे उपयुक्त जान पड़े।
क्या है कमोडिटी इक्विटी का विचारः
कमोडिटी इक्विटी फंड कमोडिटी में निवेश का अधिक परिष्कृत रूप होता है। उदाहरण के लिए अगर सोने की बात की जाये तो कमोडिटी के माध्यम से इसमें निवेश का अर्थ होगा केवल धातु के रूप में सोने में निवेश, स्वाभाविक रूप से निवेशक को जो लाभ होगा वह केवल इस धातु की कीमतों के बढ़ने से ही होगा, जबकि कमोडिटी इक्विटी में होने वाला निवेश सोने की माइनिंग से लेकर इसके परिष्करण और विपणन तक के विभिन्न क्रियाकलापों में लगी कंपनियों में हो सकता है, इससे न सिर्फ निवेशक को डाइवर्सिफिकेशन से जुड़े लाभ मिलेंगे अपितु वेल्यू एडीशन के चलते प्राफिट मार्जिन भी बढ़ेगा। फिलहाल दुनिया भर में मुद्रास्फीति का संकट है और अनेक देशों में यह दहाई के आँकड़े को पार कर गया है। मुद्रास्फीति का संकट बहुत कुछ माँग और आपूर्ति के असंतुलन के आधार पर खड़ा हुआ है और इसके निकट भविष्य में छँटने की संभावनायें कम ही हैं, अतः आने वाले वर्षों में कमोडिटी के निवेशक लाभ की स्थिति में रहेंगे। रोजर्स मानते हैं कि इक्विटी मार्केट के शार्ट टर्म बुल पीरिएड के विपरीत कमोडिटी का बुल पीरिएड 15 से 20 सालों तक काम करता है और यहाँ पूंजी लगाने के इच्छुक निवेशकों को इक्विटी निवेशक की तुलना में अधिक धैर्यवान होना चाहिए।
डाइवर्सिफिकेशन का पूरा लाभः
कमोडिटी इक्विटी फंड निवेशकों को कई तरह से डाइवर्सिफिकेशन(वैविध्य) का लाभ प्रदान करता है, पहला तो यह किसी खास सेक्टर से संबंधित नहीं है दूसरे फंड मैनेजर इस बात के लिए स्वतंत्र है दूसरे फंड मैनेजर इस बात के लिए स्वतंत्र है कि वह फंडामेंटल स्ट्रेंथ के आधार पर स्टाक का चयन करे चाहे वह लार्जकैप हो, मिडकैप हो अथवा स्मालकैप। तीसरा फंड मैनेजर ग्लोबल आधार पर(भारतीय कंपनियाँ भी यही कर रही हैं टाटा ने कोरस का अधिग्रहण किया और बिरला ने नोवैलिस का) सबसे बेहतर स्टाक का चुनाव करेंगे। इनके चुनाव के लिए वह कान्ट्रा रणनीति अपनायेंगे अर्थात उस स्टाक में दाँव लगायेंगे जो बेहतर मूल्याँकन पर मिल रहे हों भले ही बाजार इन्हें उस वक्त विशेष तवज्जो न दे रहा हो। फंड ने अपना दायरा बढ़ाने के लिए निवेशकों के पास तीन विकल्प रखे हैं पहला एग्री कमोडिटी से संबंधित, दूसरा प्रीशियस मेटल(कीमती धातु) से संबंधित तथा तीसरा मल्टी कमोडिटी प्लान जिसमें कमोडिटी का वृहत क्षेत्र शामिल किया गया है।
रोजमर्रा की वस्तुओं पर दाँवः
बिरला सनलाइफ कमोडिटी इक्विटी फंड जीवन की मूलभूत वस्तुओं रोटी-पानी पर दाँव लगाता है। विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक पिछली शताब्दी में विश्व की आबादी में तीन गुना वृद्धि हुई है और इसके चलते शुद्ध जल की माँग में 6 गुना बढ़ोत्तरी हुई है। इस शताब्दी में जलस्रोत तेजी से घटे हैं और अनुमान के मुताबिक विश्व भर में शुद्ध जल के केवल 1 प्रतिशत स्रोत ही बचे हैं। पानी हर जगह दूषित हो रहा है इसके चलते शुद्ध जल उपलब्ध कराने वाली कंपनियों का बाजार बढ़ने की उम्मीद है। विश्व बैंक के अनुमान के मुताबिक 2000 से 2015 के मध्य भारत में पानी का कारोबार 1325 फीसदी बढ़ जायेगा। फिलहाल फंड मैनेजर स्वेज तथा जीई जैसी कंपनियों के स्टाक खरीदेंगे जो समुद्री जल को पीने योग्य पानी में बदल रहे हैं और तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। इस दशक में दुनियाभर ने चीन और भारत की प्रगति देखी है जहाँ मध्यवर्ग का आकार और इसकी संपन्नता में तेजी से वृद्धि हुई है जिसके चलते इस वर्ग में कमोडिटी के उपभोग में वृद्धि हुई है। इस बढ़ी हुई माँग के अनुरूप कमोडिटी की आपूर्ति में अपेक्षाकृत वृद्धि नहीं हुई है, यह असंतुलन तेजी से बढ़ रहा है और यही कमोडिटी इक्विटी में निवेश का आधार बन सकता है।
ग्लोबल मेल्टडाऊन और सोनाः
सोना हमेशा से मुद्रास्फीति की स्थिति में जोखिम सुरक्षा के लिए अपनाया जाता है। विशेष रूप से इस धातु की भूमिका बाजार में तब और भी महत्वपूर्ण हो जाती है जब स्टाक मार्केट अथवा बैंकिंग तंत्र संकट के दौर से गुजर रहे हों। उदाहरण के लिए लीमैन के दिवालियापन और मेरिल लिंच के बिकने की खबर आते ही सोना कुछ बढ़ा लेकिन जब मार्गन स्टैनले के संबंध में इसी तरह की खबरे आईं तो सोना एक दिन में ही चढ़कर 12500 रुपए प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुँच गया। वैसे भी माँग और पूर्ति का असंतुलन सोने के पक्ष में झुकता है जिसके चलते निवेश के लिए यह सबसे आकर्षक धातु हो सकता है। भारत में सोने का रूझान प्रथमतः तो भावनात्मक ही है उदाहरण के लिए बीती हुई अक्षय तृतीया को केवल दक्षिण भारत में 70000 किलोग्राम सोना बिका जो पूरे विश्व भर में(भारत को छोड़कर) 78 दिनों में बिके हुए सोने के बराबर है अतः परंपरा और अर्थशास्त्र दोनों इसके सहयोगी हैं।
बिरला सनलाइफ कमोडिटी इक्विटी प्लानः
ओपन एन्ड ग्रोथ स्कीम
एनएफओ ओपन-15 सितंबर
एनएफओ क्लोज्ड-14 अक्टूबर
पूंजी आवंटन- इक्विटी 80 से 100 प्रतिशत
इंडियन सिक्युरिटी 0 से 35 फीसदी
ग्लोबल सिक्युरिटी 65 से 100 फीसदी
ओवरसीज इक्विटी म्यूच्युअल फंड 0 से 20 फीसदी
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